Aag
Ho gayi hai peer parbat si, pighalni chahiye,
Is Himalaya se koi Ganga nikalni chahiye,
Sirf hungama khada karna mera maksad nahin,
Meri koshish hai ke ye soorat badalni chahiye,
Mere seene me nahi to tere seene me sahi,
Ho kahin bhi aag lekin AAG JALNI CHAHIYE.
हो गयी पीर परबत सी, पिघलनी चाहियें
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिये
सिर्फ़ हन्गामा खडा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि यह सूरत बदलनी चाहिये
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने मे सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग होनी चाहिए
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